तेज़ी से एक ही दिशा में बढ़ती हुई भीड़
बेपरवाह, बेलगाम
जैसे पहाड़ से टूट कर बर्फ की छोटी सी परत
ले लेती है हिमस्खलन का रूप
विशाल, प्रतिरोधी
ऐसी भीड़ में खुद को बचाने का एक ही रास्ता है
दौड़ो, भीड़ की दिशा में दौड़ते रहो
ना दाए देखो, ना बाए
भीड़ से बच कर निकलना, अलग हो जाना
एक दिवास्पन तो है
मगर जानलेवा
मै दौड़ में हूँ
यहाँ चारो ओर सिर्फ धूल दिखाई पड़ती है
और कुछ धुंदले चेहरे
धूल की गहरी चादर है चेहरों पर
और एक टक देखती आँखे
कुंठित, विचलित
यहाँ आइना नहीं है, मगर आँखें हैं
और हैं हज़ारो प्रतिबिम्ब
मै दौड़ में हूँ
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